कहते हैं कि लड़कों को ऐसी बातों से फर्क नहीं पड़ता. अगर लड़का-लड़की को बराबर समझा जाता है तो लड़कियों को भी ऐसी-वैसी किसी बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिये.
लेकिन ऐसा होता कहाँ है? लोग होने नहीं देते. मेरी जान पहचान में ही करीब 8-10 लड़कियां हैं जिनको उम्र भर के लिये फर्क पड़ गया है.
मेरे सबसे पहले पीजी में मेरी रूममेट एक पहाड़ी लड़की. बहुत स्वीट, सीधी और केयरिंग. मुझसे 4 साल बड़ी थी. उसको एयरपोर्ट पर एक बंदा मिला था. उसने मेरी रूममेट से काफी टाईम तक छुपाकर रखा कि वो शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है. बात खुलने पर बोला कि अपनी वाइफ को तलाक दे देगा. 6-7 साल पुराने इस किस्से का सार ये है कि मेरी उस रूममेट ने अभी तक शादी नहीं की है और उसी पीजी में रह रही है.
मेरे पुराने प्रोजेक्ट की एक फ्रैंड. एक शहर से सारा बोरिया-बिस्तर समेटकर, जॉब छोड़कर नोयडा इसलिये आ गयी क्योंकि 3-4 साल के ब्रेकअप और शादी के झूठे वादे के बाद वो नयी शुरूआत करना चाहती थी. तब से 4-5 साल और बीत गये.
एक और दोस्त कॉलेज की कहानी लिये 9 साल से एक ऑन-एंड-ऑफ ऐब्यूज़िव रिलेशन में बंधी बैठी है. सब कुछ किस्मत और माँ बाप के भरोसे छोड़कर. यहाँ की असफलता उसकी जॉब पर कैंसर बनकर जम रही है.
एक फ्रैंड ने लव मैरिज की. तीसरे साल के अंदर तलाक हुआ और अब 2-3 साल से अकेली रह रही है. नयी जॉब और नये शहर से शुरूआत तो कर ली लेकिन कहाँ तक पहुँची ये पोल उसके करवाचौथ के व्रत के नाटक ने खोल दी.
एक कॉमन फ्रैंड की उम्र 40 को छू रही है लेकिन बोलती है कि उसको लड़कों पर भरोसा नहीं रहा इसलिये ऐसे ही रहेगी.
एक सीनियर हैं. दिल की बहुत अच्छी. होंगी 40 के आस-पास. उनके बॉयफ्रैंड ने बहुत साल पहले घरवालों की मर्ज़ी से कहीं और शादी कर ली थी. और मेरी सीनियर ने अभी तक शादी नहीं की.
और भी कई लड़कियाँ हैं जो लोगों की नज़र में शादी के लिये ओवर एज हो चुकी हैं. उनकी शादी की "फैंसी एज" निकल चुकी है. दिल की बहुत अच्छी हैं, हर हाल में हँसती-खुश रहती हैं, महीने के 60-70 हज़ार कमाती हैं तो क्या? हमारी नज़र में तो बूढ़ी हो गईं. उनका टाईम निकल गया.
इस संख्या के बदले में मैं ऐसे किसी लड़के को नहीं जानती जो सिर्फ किसी लड़की की वजह से बिना शादी किये बैठा हो. लड़कों को सच में ऐसी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता.
लेकिन ऐसा होता कहाँ है? लोग होने नहीं देते. मेरी जान पहचान में ही करीब 8-10 लड़कियां हैं जिनको उम्र भर के लिये फर्क पड़ गया है.
मेरे सबसे पहले पीजी में मेरी रूममेट एक पहाड़ी लड़की. बहुत स्वीट, सीधी और केयरिंग. मुझसे 4 साल बड़ी थी. उसको एयरपोर्ट पर एक बंदा मिला था. उसने मेरी रूममेट से काफी टाईम तक छुपाकर रखा कि वो शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है. बात खुलने पर बोला कि अपनी वाइफ को तलाक दे देगा. 6-7 साल पुराने इस किस्से का सार ये है कि मेरी उस रूममेट ने अभी तक शादी नहीं की है और उसी पीजी में रह रही है.
मेरे पुराने प्रोजेक्ट की एक फ्रैंड. एक शहर से सारा बोरिया-बिस्तर समेटकर, जॉब छोड़कर नोयडा इसलिये आ गयी क्योंकि 3-4 साल के ब्रेकअप और शादी के झूठे वादे के बाद वो नयी शुरूआत करना चाहती थी. तब से 4-5 साल और बीत गये.
एक और दोस्त कॉलेज की कहानी लिये 9 साल से एक ऑन-एंड-ऑफ ऐब्यूज़िव रिलेशन में बंधी बैठी है. सब कुछ किस्मत और माँ बाप के भरोसे छोड़कर. यहाँ की असफलता उसकी जॉब पर कैंसर बनकर जम रही है.
एक फ्रैंड ने लव मैरिज की. तीसरे साल के अंदर तलाक हुआ और अब 2-3 साल से अकेली रह रही है. नयी जॉब और नये शहर से शुरूआत तो कर ली लेकिन कहाँ तक पहुँची ये पोल उसके करवाचौथ के व्रत के नाटक ने खोल दी.
एक कॉमन फ्रैंड की उम्र 40 को छू रही है लेकिन बोलती है कि उसको लड़कों पर भरोसा नहीं रहा इसलिये ऐसे ही रहेगी.
एक सीनियर हैं. दिल की बहुत अच्छी. होंगी 40 के आस-पास. उनके बॉयफ्रैंड ने बहुत साल पहले घरवालों की मर्ज़ी से कहीं और शादी कर ली थी. और मेरी सीनियर ने अभी तक शादी नहीं की.
और भी कई लड़कियाँ हैं जो लोगों की नज़र में शादी के लिये ओवर एज हो चुकी हैं. उनकी शादी की "फैंसी एज" निकल चुकी है. दिल की बहुत अच्छी हैं, हर हाल में हँसती-खुश रहती हैं, महीने के 60-70 हज़ार कमाती हैं तो क्या? हमारी नज़र में तो बूढ़ी हो गईं. उनका टाईम निकल गया.
इस संख्या के बदले में मैं ऐसे किसी लड़के को नहीं जानती जो सिर्फ किसी लड़की की वजह से बिना शादी किये बैठा हो. लड़कों को सच में ऐसी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता.